पर्व - गुरु पूजा
समय - आषाढ़ पूर्णिमा ( शुक्ल पक्ष , चंद्र पखवाड़े तेज पूर्णिमा ) (जून-जुलाई)
2018 दिनांक - 27 जुलाई, शुक्रवार
2019 दिनांक - 16 जुलाई, मंगलवार
2020 दिनांक - 5 जुलाई, रविवार
जीवन एक साइकिल की तरह है , इसे चलाना आसान नहीं है। थोड़ा सा भी संतुलन बिगड़ा की आप गिर जाएंगे। जीवन में ख़ुशी , दुःख ,दर्द ,लालच , जुनून और उदारता ये सब है; ये चीजे आपको विभिन्न दिशाओ में खींचते है। ताकि आप अपने लक्ष्य की प्राप्ति न कर सके। और वो जो आपको हमेशा आपके लक्ष्य की याद दिलाये , आपकी मदद करे उसे पाने में, वो आपके लिए सम्मानिये है वो आपका गुरु है.
आइये गुरु पूर्णिमा से संबंधित सभी बातों को जानते है-
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है ?
माना जाता है की महर्षि वेद्ब्यास का जन्म इसी दिन हुआ था। वेद्ब्यास जी को प्राचीन हिन्दू ग्रंथो में सबसे महान गुरु और गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने ब्रह्मसूत्र की रचना इसी दिन की थी, इसलिए इस दिन को ब्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वेदब्यास ने वैदिक अध्ययन के कारण सभी वैदिक मंत्र इकट्ठा करके सभी को उसके गुणों और विशेषताओं के आधार पर चार भागों में विभाजित किया जो है - ऋग वेद , सामवेद,यजुर्वेद और अथर्व वेद। महाभारत उनका पांचवा वेद कहा जाता है।व्यासदेव ने 18 पुराणों और 108 उपनिषद जैसे परिशिष्ट लिखे ताकि आम आदमी उन्हें समझ सकें और व्यावहारिक रूप से उनका पालन कर सकें।
हिन्दुओ में एक और मान्यता के अनुसार भगवान शिव इसी दिन इंसानों के पहले गुरु बने थे। क्योंकि इसी दिन शिव ने सप्तऋषियों को योग सिखाया था। भगवान शिव को आदिगुरु भी कहा जाता है।
बौद्ध धर्म के लोगों के अनुसार भगवान बुद्ध ने इसी दिन सारनाथ (उत्तर-प्रदेश) में अपना पहला उपदेश दिया था ,इसलिए ये दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा के महत्व -
यह दिन आध्यात्मिक योग और शिक्षकों को समर्पित है। यह एक भारतीय उपमहाद्वीप की परंपरा है। यह त्यौहार पारंपरिक रूप से हिन्दू,बौद्ध और जैनो द्वारा उनके शिक्षक के सम्मान में आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।यह त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
गुरु का महत्त्व -
संस्कृत के अनुसार शब्द "गुरु" दो शब्द गु+आरयू =गुरु से बना है। जिसमे 'गु' का अर्थ है अंधेरा या अज्ञानता ,और 'आरयू' का अर्थ है अंधेरा या अज्ञानता को हटाने वाला। इंसानों के लिए पहला गुरु आपकी माँ है जो आपकी हमेशा परवाह करती है। इसके बाद वो आपका गुरु है जिसे आपने अपना गुरु माना है , जो आपका मार्गदर्शन करता है। अच्छाई और बुराई में अंतर समझाते है। आपको वो ज्ञान देता है जिसके आप योग्य है।लोग इस त्योहार को किस तरह मानते है ?
यह दिन शिष्य और गुरु का दिन होता है। शिष्य अपनी मर्ज़ी से अपने गुरु के लिए कुछ भी कर सकता है कुछ लोग गुरु को विशिष्ठ उपहार देते है ,तो कुछ लोग अपने गुरु के भलाई के लिए उपवास रखते है। और कुछ लोग अपने आध्यात्मिक स्थल जा कर पूजा पाठ करते है।गुरु पूर्णिमा के महत्वपूर्ण तथ्य-
- गुरु पूर्णिमा , गुरु या शिक्षक के सम्मान का दिन है। यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है।
- इस पूर्णिमा को " ब्यास पूर्णिमा " भी कहते है , क्योंकि इस दिन वेदब्यास जी का जन्म हुआ था। उन्होंने वेद,पुराण,और महाभारत जैसे महान ग्रन्थ लिखे।
- संस्कृत में ' गु ' का अर्थ है 'अँधेरा ' , और 'रु' का अर्थ है 'अँधेरा को हटाने वाला' अर्थात अँधेरे को हटाने वाला । गुरु जीवन के सही मायने सिखाता है।
- ब्रह्मा , विष्णु और शिव की त्रिमूर्ति आदिगुरु ( प्रथम गुरु) माना जाता है। इनसे ही सभी मानव जाती और सभी शिक्षाए उत्पन्न हुई.
- ऐसा कहा जाता है की एक बार आपको सच्चा गुरु मिल जाए, जीवन चक्र और इससे संबंधित सभी बातों को समझ सकते है।
यदि आपके जीवन में "गुरु" है तो आपके इसके मायने जानते है। क्या आप कुछ शेयर करना चाहेंगे
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