सरस्वती - ज्ञान की देवी ! - Negative OF you

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

सरस्वती - ज्ञान की देवी !



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                                              सरस्वती पूजा जिसे हम 'श्री पंचमी' 'सरस्वती पंचमी' और 'बसंत पंचमी' के नाम से भी जानते है। यह एक हिन्दू पर्व हैं, जो हर साल हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 'माघ' महीने के पाचवें दिन मनाया जाता है। माघ शब्द अर्थ है बसंत (spring) और पंचमी का अर्थ है पांचवा दिन। अतः इस प्रकार इस उत्सव का नाम बसंत पंचमी पड़ा है।

ये दिन सरस्वती को समर्पित है जिसे मानवता के लिए ज्ञान की देवी रूप में पूजा जाता है। वे संगीत , कला , विज्ञान और सभी प्रकार के ज्ञान की देवी के रूप में भी जानी जाती है। ऋषियों का मानना है कि सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था इसलिए ज्ञान का सम्मान करने वाले प्रत्येक लोग और विद्यार्थी इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते है।
                                    कुछ लोग इस दिन को 'प्यार का ईश्वर-कामदेव' के रूप में भी जानते है। जिसे सामान्य भाषा में 'Valentine day' भी कहते है । Valentine day की शुरुवात सरस्वती पूजा के दिन से होती है। इस दिन लोग अपने प्यार को फूल देकर या अन्य तरीके से मनाते है।
Indonesia इसे हरिराया सरस्वती के रूप में मनाया जाता है।
                                      हिन्दू मान्यताओं में सरस्वती एक महादेवी है, जो ब्रह्मा की पत्नी है। वे सफ़ेद वस्त्र, आभूषण, फूल और मोती की माला धारण करती हैं। वे एक बड़े सफ़ेद फूल पर बैठती है। उनके हाथों में वीणा होता है जो संगीत का प्रतीक है इसलिए सरस्वती को वीणापाणि के नाम से भी जाना जाता है। वे सफ़ेद हंस की सवारी करती है।उनके हाथों में कमल पवित्रता, पुस्तक ज्ञान, मोती की माला पूर्णता और हंस सुंदरता का प्रतीक है। उन्हें पीला रंग बहुत प्रिय है



मेरे अनुसार लोग अब सरस्वती पूजा के मायनो को भुला चुके है/ वे बस उनकी पूजा तो करते है पर उनके आदर्शों का पालन नहीं करते । लोग ज्ञान पाना नहीं चाहते , प्रकृति के संगीत को सुन्ना नहीं चाहते, लोग आसमा पर चमकने वाले चाँद से तो प्यार करते है लेकिन जमीन पर खिले सुन्दर फूल की तरफ देखते तक नहीं। लोगो को समझना होगा की सिर्फ पूजा करने से कुछ नहीं होगा। इससे वे सरस्वती को खुश नहीं कर सकते।सरस्वती को खुश करने के लिए उन्हें खुद में भी सरस्वती का गुण लाना होगा /

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