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प्रेम में होने का क्या अर्थ है ! |
जब आप किसी पर अधिकार करने की कोशिश नहीं करते , जब आप में ईर्ष्या या लालच नहीं होता . जब आप दुसरो का आदर उनके गुण देखकर नहीं करते . जब आपके मन में किसी के लिए करुणा होती है , हार्दिक स्नेह होता है . तब आपके अंदर प्रेम में होते है. आपका ये प्रेम किसी के लिए भी हो सकता है ;-स्त्री , परुष , पशु -पक्षी या कोई भी .
जब आपका दिल आपके दिमाग की चालाकियों को नहीं सुनता . तब ये प्रेम से भरा होता है.एक मात्र प्रेम ही है जिसके कारण आप इस दुनिया के पागलपण और भ्रष्टता को सह लेते है .प्रेम के बिना कोई भी धर्म , समाज , संकल्पना या सिद्धांत हमें नहीं बदल सकता .
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प्रेम में होने का क्या अर्थ है ! |
समंदर के खारे पानी की तरह आज विश्व समाज में जहाँ भौतिक सुख और इच्छाएं ही प्रमुख है , प्रेम नहीं !लेकिन फिर भी प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं . आपके पास प्यार होगा ही नहीं जब तक की आप दुसरो की आत्मा में सुंदरता को नहीं देख लेते . बिना प्रेम और सौंदर्य बोध के आप में किसी प्रकार की सच्ची नैतिकता नहीं आ सकता .
आप और हम ये अच्छी तरह से जानते है की बिना प्रेम आप कुछ भी करे , समाज सुधार ,भूखों को खिलाना इत्यादि इससे आप और अधिक पाखण्ड , विभेद और उलझनों में ही पड़ेंगे .प्रेम का आभाव ही हमारी कुरूपता , दिल और दिमाग की कंगाली का कारन बनता है .जब प्रेम दिल में हो तो सब अच्छा लगता है.
क्या आप में इतनी क्षमता है ये कहने की " मैं प्रेम में हूँ !"
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