दहेज़ कौन लेता है? शिक्षित या अशिक्षित ! - Negative OF you

बुधवार, 3 जनवरी 2018

दहेज़ कौन लेता है? शिक्षित या अशिक्षित !

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दहेज़ कौन लेता है शिक्षित या अशिक्षित !

             दहेज के बारे में तो सब जानते ही होंगे. लड़की के शादी के समय लड़की के परिवार वालो के द्वारा लड़के के परिवार को नगद या किसी भी प्रकार का सामान या दोनों देना दहेज़ कहलाता है. माना जाता है की दहेज़ प्रथा की शुरुवात दशकों पहले राजाओ द्वारा की गई. जब राजा अपनी पुत्री की शादी करता था तो वह उसके साथ अपनी ख़ुशी से बहुत सारा धन-दौलत भी भेजता था, पर ये चीजे समय के साथ-साथ रिवाज में बदल गई और  रिवाज अनिवार्यता में. और वर्तमान समय में इसने जबरदस्ती का रूप भी धारण कर लिया है. क्योकि अब शादी के समय तो दहेज़ लेते ही है अपितु शादी के बाद भी जबरन दहेज़ माँगा जाता है.ये कह कर की यदि दहेज़ नहीं दिए तो ससुराल में उसे शारारिक या मानसिक प्रतारणा दी जायगी. फिर मज़बूरी में लड़की वालो को दहेज़ देना परता है.
अफ़सोस की बात तो ये है की आज समाज का बड़ा शिक्षित वर्ग ही इसे अपना अधिकार समझते है.
               मैं एक बार ट्रैन के  AC क्लास में सफर कर रहा था आप तो जानते ही है की AC क्लास में ज्यादातर लोग आमिर और शिक्षित होते है. उस समय कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे,
पहला व्यक्ति -आपकी बेटी की शादी कैसी रही .
दूसरा व्यक्ति-बहुत अच्छी रही .
पहला - लड़का क्या करता है .
दूसरा - डीएम है.
पहला-तब तो दहेज़ भी बहुत ली होगी .
दूसरा-हाँ, पुरे एक करोड़ रुपया .
पहला-सिर्फ एक करोड़, मेरे रिश्तेदार ने तो 1.5 करोड़ दिए थे. चलो तुम्हे तो सस्ते में मिल गया.
      दोस्तों ये एक सच्ची घटना है.
तो दोस्तों अब आप समझ ही गए होंगे.जिन लोगो को समाज में कानून का संरक्षण करने के लिए रखा गया है वे ही इसकी धज्जिया उरा रहे है. एक तरफ गरीब या अशिक्षित को देखिये तो पता चलेगा की उनसे कोई अपनी बेटी की शादी भी नहीं करना चाहता दहेज़ तो दूर की बात है.
          तो जो लोग शिक्षित और सभ्य दिख रहे है और जो लोग समाज में बड़े-बड़े पदों पर आश्रित है. असल में वे लोग ही समाज को बर्बाद कर रहे है . और ऐसे बड़े-बड़े लोग जो दहेज़ लेते है उन्हें नंगा कर के चौराहे पर टांग कर पत्थरो से मरना चाहिए .
सरकार का ये बोलना की जब तक लोग अशिक्षित है दहेज़ प्रथा को रोकना मुश्किल है, ये सोच समाज को उसके अंत तक ले जाएग.

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