ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया - Negative OF you

सोमवार, 1 जनवरी 2018

ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया

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ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया

                         धरकनो का धक-धक करना और थम जना , सांसों का चलते रहना, जिस्म की गर्माहट और चलते फिरते कदम. क्या यही जिंदगी है? जीवन के मायने में उम्र की रेलगाड़ी का छुक-छुक कर चलना और फिर रुक जाना , बस इतना ही है क्या? यूही बस जिये जाने का कोई अर्थ नहीं है .जिंदगी वही है जो किसी के लिए हो और किसी को 2 पाल की ख़ुशी दे सके.
                 जिंदगी के अर्थ का अहसास करना हो तो कभी छोटे- छोटे बच्चो के झुण्ड पर नज़र डालिये , जैसे तितलियों का झुण्ड हो , खरगोश दौर रहे हो , गलियो में तैरते है , उड़ते है , कूदते बच्चे , नन्हे- नन्हे कदमो से छलांग लगाते बच्चे , जैसे पहाड़ लांघ रहे हो . वे नहीं जानते की ईट का ढेर कोई पहाड़ नहीं है . उन्हें नहीं मालूम की छुपन-छुपाई में एक-दूसरे को दंड लेने से कोई समस्या हल नहीं होती .लेकिन वे इस चिंता से अलग अपनी ही दुनिया में मगन रहते है. और हम ? हमारी नज़रे इस कदर बड़े लक्ष्यो पर टिकी रहती है की हम जीवन को न तो सुखमय बना पाते है , न तो दुसरो की ज़िंदगी को आसान रहने देते है 

 
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 ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया
        

                 हम सुबह की ताज़ी हवा में अपने पंख भी नहीं फरफराते की लक्ष्य की रेलगाड़ी बहा ले जाती है और हज़ारों लक्ष्यों के बिच हम भी अपना लक्ष्य हासिल करने में लग जाते है .
             देर शाम जब घर आते तो थक कर सोया करते है, यही रोज़ हम करते है. जब तक मैंने लक्ष्य को पाया लक्ष्य का कोई अर्थ न रहा. एहसास हुआ जब मुझको खो बैठा था भूल गया था हसी , ख़ुशी , और चैन. ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया , न अपने पंख फरफराये न आसमा देखा . छल लिया मुझे दुनिया के नील समंदर ने न प्यास बुझी न बसेरा मिला . याद आये मुझे मेरा बचपन सुन्दर थे कितने छोटी सी दुनिया .
             एहसास हुआ है अब मुझको गलती की मैंने "ज़िंदगी" तूने मुझे छोटे प्यारे पल देने चाहे , मैंने खोया बड़ी चाह में . अब मैं मनु मेरी गलती समझ गया ऐ ज़िंदगी तेरा राज़ , तू कोई लक्ष्य नहीं बल्कि है तू ख़ुशी देने का नाम . ना खोऊँगा मैं अब इस माया जाल में हसूंगा मैं तेरे प्यार में , तेरे हर अहसास में .
    ऐ ज़िंदगी तूने मुझे क्या देना चाहा और मैंने क्या किया

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